सुनील कुमार/एफएमटीएस न्यूज नेटवर्क
राष्ट्रीय जनता दल और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। जगदानंद सिंह ने अपने इस्तीफे की वजह बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य कारणों को बताया है। आपको बता दें कि जगदानंद सिंह ने सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ा है पार्टी नहीं। गौरतलब है कि दो साल पहले पार्टी के कई नेताओं के विरोध के बावजूद लालू यादव ने जगदानंद सिंह को राजद की कमान सौंपी थी।
जगदानंद सिंह को लालू परिवार का करीबी माना जाता है। इसके अलावा उनकी छवि काफी ईमानदार और कर्मठ नेता की रही है। वह रामगढ़ से एमएलए और बक्सर से सांसद रह चुके हैं। लालू सरकार में वह जल संसाधन मंत्री भी रहे।
पिछले कुछ समय से जगदानंद सिंह और लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव के बीच तनातनी की खबरें आती रहती थीं।
अभी चार दिन पहले राजद के स्थापना दिवस समारोह में भी तेजप्रताप ने जगदानंद सिंह पर निशाना साधा था। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान मंच से ही कहा कि लगता है जगदानंद सिंह हमसे नाराज चल रहे हैं, इसलिए मेरी बातों पर हाथ उठाकर समर्थन नहीं करते। वह पहले भी जगदानंद सिंह का विरोध कर चुके थे। तब जगदानंद सिंह ने इसे परिवार का मामला बताया था।
बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का इस्तीफा अभी पार्टी अध्यक्ष लालू यादव ने मंजूर नहीं किया है। उन्होंने उसने पद पर बने रहने को कहा है। दरअसल, जगदानंद इधर तेजप्रताप यादव द्वारा खुद को टारगेट किए जाने से नाराज चल रहे थे। इस्तीफे के लिए उन्होंने भले स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, लेकिन इससे संदेश यही गया है कि नाराजगी में उन्होंने यह कदम उठाया है। सूत्रों का कहना है कि लालू यादव इस पूरे मसले को बातचीत के जरिए सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपने पुरानी साथी जगदानंद सिंह से फिलहाल पद पर बने रहने को कहा है।
बिहार की सियासत को अच्छे से समझने वाले बताते हैं कि जगदानंद सिंह को पार्टी की प्रदेश इकाई की कमान सौंपकर लालू यादव ने बड़ा दांव चला था। जिस वक्त जगदानंद सिंह प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे उससे कुछ समय पहले ही सवर्ण आरक्षण बिल का विरोध करने के चलते एक बड़े वर्ग में राजद को लेकर काफी नाराजगी देखने को मिल रही थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद एक भी सीट नहीं जीत सकी। रघुवंश प्रसाद सिंह समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता चुनाव हार गए थे। ऐसे में जगदानंद सिंह को पार्टी की कमान सौंपकर लालू यादव ने बड़ा दांव चला था। पार्टी सवर्णों में यह संदेश नहीं देना चाहती थी कि राजद अगड़ी जाति के खिलाफ है।