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कैमुर के हेलमेट मैन राघवेन्द्र विश्व में सबसे ऊंची सड़क पर इतिहास रचने जा रही BRO की ब्रांड एंबेसडर कंचन को हेलमेट पहना कर जागरूकता की देंगे हरी झंडी

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जी पी सोनी, कैमुर

दिल्ली की बाइकर गर्ल व BRO की ब्रांड एम्बेस्डर कंचन दिल्ली से मोटरसाइकिल चलाकर लद्दाख स्थित विश्व की सबसे ऊंची सड़क उमलिंगला दर्रे पर मोटरसाइकिल चलाने वाली विश्व की पहली बाईकर बनने जा रही हैं.कैमुर के
हेलमेट मैन के नाम से मशहुर राघवेंद्र कुमार विश्व में सबसे ज्यादा हेलमेट बांटने का रिकॉर्ड बना चुके हैं. और अपने अभियान से प्रतिवर्ष लाखों बच्चों को निशुल्क पुस्तकें देते रहते हैं.इनके कार्य से प्रभावित होकर करोड़ों लोगों में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है।
7 जून को दिल्ली से हेलमेट मैन कंचन का हौसला बढ़ाने के लिए हेलमेट पहना कर हरी झंडी देंगे और साथ में एक करोड़ का दुर्घटना बीमा भी देंगे ताकि लोगों में सड़क सुरक्षा के प्रति हेलमेट के साथ इंसुरेंस की भी जागरूकता बढ़े.सीमा सड़क संगठन सीमावर्ती इलाकों में सड़क निर्माण कार्य हेतु रक्षा मंत्रालय के अधीन संगठन है. जिसमे सेना के लोग शामिल होते हैं। लद्दाख ,जम्मू कश्मीर , हिमाचल , उत्तराखंड , सिक्किम , अरुणाचल जैसे सीमावर्ती इलाखों में सेना और सैन्य वाहनो के लिए सड़क निर्माण का जिम्मा बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन के अधीन है.सीमा सड़क संगठन ने अटल टनल का सफलता पूर्ण निर्माण किया है जो दस किलोमीटर लंबी और विश्व् की सबसे बड़ी सुरंग है. जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था.


सीमा सड़क संगठन ने बॉर्डर से सटे दुर्गम उचाईयों वाले पहाड़ी इलाके में जहाँ हिमस्ख्लन के खतरे के साथ ऑक्सीज़न भी भारी कमी भी होती है. बीआरओ ने ऐसी जगहों पर कई ऐसे रोड और पुल का निर्माण किया है जिसे कई देश और विदेश की नामी गिरामी सड़क निर्माण कंपनियों ने असंभव कहकर छोड़ दिया था.

उमलिंग ला दर्रे का सामरिक महत्व-
देश की सुरक्षा की दृष्टि से विश्व की सबसे ऊंचीं सड़क उमलिंग ला दर्रे का अपना अलग ही सामरिक महत्त्व है. अब तक दुनिया की सबसे ऊँची सड़क का दर्जा लेह से पैतालीस किलोमीटर की दुरी पर ” खारदुंगला दर्रा ” हुवा करता था जिसकी ऊंचाई 17800 फिट थी। उमलिंगला दर्र्रा की उंचाई 19300 फिट है। उमलिंगला पास चीन की सीमा से सटे डेमचौक इलाके को हनले से जोड़ता है जो महज़ 22 किलोमीटर की दुरी पर सेना का महत्वपूर्ण पोस्ट है. पहले डेमचोक पहुंचने के लिए सेना को दो दिन का सफर करना होता था. उमलिंगला दर्रे पर सड़क बनने से आर्मी के जवान और सैन्य वाहन महज 3-4 घण्टे में सीमा पर पहुँच सकेंगे.


इस माउंटेन पीक पर सड़क निर्माण अपने आप में बड़ी चुनौती रही है उमलिंग ला पीक पर सड़क निर्माण पिछले साल लॉक डाउन के दौरान बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन ने तब किया था जब सीमा विवाद को लेकर चीन और भारत के बीच तनाव का माहौल था. एक तरफ चीनी सेना सड़क निर्माण पर आपत्ति जताते हुवे भारत के सैनिकों के साथ लगातार झड़प कर रही थी दूसरी तरफ बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन के इंजीनियर्स सड़क निर्माण कर रहे थे। आख़िरकार भारतीय फौज की कड़े पहरे के बीच बीआरओ ने दो महीने के अंदर सड़क निर्माण कर न सिर्फ दुनियाँ की सबसे ऊंचीं सड़क का निर्माण किया बल्कि चीन को मात देते हुवे बॉर्डर एरिया पर सेना तैनाती कर उनके मंसूबे पर पानी फेर दिया.

29 वर्षीय कंचन ऊगुरसैंडी के प्रदर्शन को देखते हुवे दिल्ली से लेकर उमलिंगला दर्रे तक मोटरसाइकल यात्रा करने के प्रस्ताव को बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन ने मंजूरी दे दी है। बतौर ब्रांड एम्बेसडर कंचन ऊगुरसैंडी सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) का प्रतिनिधित्व करेगी. अगले महीने कंचन दिल्ली से लद्दाख की करीब 3200 किलोमीटर यात्रा 20 दिनों में पूरी होगी. बाइकर गर्ल कंचन पूरी यात्रा अपनी मोटरसाइकिल को अकेले ही तय करेंगी. रूट के अनुसार चंडीगढ़, मनाली , लेह सियाचिन होते हुए कंचन आखिर में उमलिंगला टॉप पर पहुचेंगी जो की एक विश्व रिकॉर्ड होगा।

कंचन की इस एडवेंचर राइड का मकसद सीमा सड़क संगठन और बॉर्डर पर तैनात सेना के जवानों का हौशला बढ़ाने के साथ सेना के प्रति सम्मान प्रकट करना है. पूरी यात्रा के दौरान वह सड़क निर्माण में लगे सेना के जवानों से मिलकर उनको देश की जनता के तरफ से शुक्रिया अदा करेंगी। तो वही हेलमेट मैन राघवेंद्र के इस प्रयास की भी लोग मुक्त कंठ से प्रशंसा कर रहे हैं।

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