कुन्दन कुमार/एफ़एमटीएस न्यूज़/सावंदता
भारत ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में पिछले साल सीमा पर चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों को जमा करने और इसकी स्थिति को एकतरफा तौर पर बदलने की कोशिश करने से क्षेत्र की शांति भंग हुई। भारत की यह टिप्पणी चीन द्वारा यह कहे जाने के एक दिन बाद सामने आई है, जिसमें उसने कहा था कि उसने क्षेत्र में आत्मरक्षा के तहत सैनिकों को तैनात किया है। कहा, बड़ी संख्या में सैनिकों को जमा करने से क्षेत्र की शांति भंग हुई।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश से शांति भंग हुई।
बागची ने यह प्रतिक्रिया तब दी जब उनसे गतिरोध को लेकर सवाल पूछा गया था। बागची ने कहा, चीन की हरकतें 1993 और 1996 के समझौतों का उल्लंघन हैं। इनके तहत दोनों पक्षों में इस बात पर सहमति बनी थी कि दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करेंगे और इन क्षेत्रों में सैनिकों की उपस्थिति को न्यूनतम रखेंगे।
नरवणे ने कजाखस्तान के अपने समकक्ष से की वार्ता
सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर चर्चा के लिए गुरुवार को कजाखस्तान के अपने समकक्ष मेजर जनरल तलगत ममिर्तायेविच कोइबाकोव के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। कजाखास्तान की चीन के साथ 1780 किलोमीटर सीमा मिलती है। लेकिन भारत के विपरीत कजाखस्तान का चीन के साथ कोई सक्रिय सीमा विवाद नहीं है। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध पैदा हुए सालभर से भी अधिक समय हो चुका है।