कुन्दन कुमार / एफएमटीएस न्यूज / रिपोर्टर
सिंहेश्वर(मधेपुरा)। एनएच 106 जो मधेपुरा को सुपौल से जोड़ती है कभी भी बंद हो सकता है। सिंहेश्वर के पास निर्माण किए जा रहे पुल का एप्रोच पथ भी भी टूट सकता है। धार में पानी बढऩे से पथ टूटने का खतरा मंडराने लगा है। पथ टूटने से मार्ग बंद हो जाएगा। मार्ग बंद होने से मधेपुरा से सुपौल से कट जाएगा। वहीं सिंहेश्वर का संपर्क जिला मुख्यालय से भी कट जाएगा। ङ्क्षसहेश्वर बाजार में बाबा मंदिर के परिसर के पीछे एनएच 106 पर बन रहा पुल का एप्रोच पथ के पास पानी बह रहा है। पानी का बहाव रूकने के कारण पथ टूटने का खतरा बढ़ गया है।
पुराने पुल के जगह बनाया जा रहा है नया पुल
एनएच 106 के चौड़ीकरण को देखते हुए पुराने पुल को तोड़ा गया है।
साथ ही इस पुल के समानांतर पुल बनाया जा रहा है। वहीं एप्रोच पथ भी बनाया गया है ताकि आवागमन बाधित न हो। लेकिन धार में बढ़ रहे पानी के कारण परेशानी बढ़ गई है। रामपट्टी, बुढ़ावे, गौरीपुर व कई अन्य जगहों के खेत व नाला के लगातर पानी बहाव के कारण पुल पर दवाब बढ़ता जा रहा है। सीएलएफ कंपनी द्वारा बनाए जा रहे इस पुल कार्य प्रारंभ से ही मंथर गति में हो रहा है। अब तक पुल का पाए का भी निर्माण नहीं किया जा सका है।
क्या कहते हैं लोग
स्थानीय मुखिया किशोरी प्रसाद सिंह, अजीत सिंह, कैलाश चौधरी, राजेश रंजन झा, संतोष सिंह, चंदन सिंह का कहना है कि पूर्व में जो पुल बना था वो काफी ठोस था। इसे तोडऩे में निर्माण कंपनी को काफी समय लग गया। काम को तेज गति से करने की तवज्जो नहीं दी गई। कछुए की चाल में पुल का निर्माण काम चल रहा था। निर्माण में देरी के कारण परेशानी बढ़ गई है। अगर पानी का दबाव बढ़ा और एप्रोच पथ टूटता है तो लोगों को काफी दिक्कत होगा।
निर्माण कंपनी की लापरवाही से बढ़ी परेशानी
एनएच 106 पर सिंहेश्वर में महाशिवरात्रि के समय से ही पुल का निर्माण कार्य चल रहा है। इस पुल को बनाने की जिम्मेदारी आइएलएफएस कंपनी ने अपने कंधे पर लिया है। जल्द निर्माण खत्म करने का भरोसा दिया था। लेकिन तब से लेकर आज तक इस पुल का आधा काम भी नहीं किया जा सका। जबकि लॉकडाउन में उक्त निर्माण कंपनी को ज्यादा से ज्यादा काम कर निर्माण की दिशा में काम करना चहिए। जबकि 25 जुलाई से सावन का श्रावणी उत्सव शुरू होने वाला है। इन दिनों बाबा मंदिर के आस पास भारी भीड़ लगती है।
एसडीओ साहब को सूचना दी गई है। उनके द्वारा बताया गया कि आइएलएफएस के कर्मचारी से बात कर पानी निकासी का प्रबंध किया जा रहा है। ताकि एप्रोच पथ क्षतिग्रस्त न हो।