कोरोना की दूसरी लहर में बिहार की स्वास्थ्य व्यस्वस्था चरमरा गई है। सूबे के अमूमन हर जिले में अस्पतालों के कुव्यवस्था की तस्वीर सामने रही है। खासकर बीते कुछ दिनों से सूबे के बदहाल अस्पतालों, पीएचसी, एपीएचसी समेत अन्य स्वास्थ्य केंद्रों की खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं।
दयानन्द कुमार/स्वन्त्र रिपोर्टर/पटना
पटना– कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए बिहार में 5 मई से 15 मई लॉकडाउन लागू किया गया था। लेकिन कोरोना की चेन को तोड़ने में लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम को देखते हुए उसे 1 जून तक बढ़ा दिया गया है. तकरीबन एक महिने से लागू लॉकडाउन का कोरोना के आंकड़ों पर असर दिख रहा है। राज्य में कोरोना मरीजों की संख्या में कमी आई है। साथ रिकवरी रेट में वृद्धि दर्ज की गई है, जो सुकून देने वाली बात है।
स्वास्थ्य केन्द्रों को सुव्यवस्थित करना होगा
इस बात के लिए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया है। साथ ही उन्हें सलाह भी दी है. हम सुप्रीमो मांझी ने शनिवार को ट्वीट कर कहा, ” अपने बेहतर और अद्वितीय कार्य से कोरोना में कमी लाने के लिए नीतीश कुमार जी को धन्यवाद। वैसे लॉकडाउन कोविड का समाधान नहीं. सही मायने में स्वास्थ्य संकट से निपटना है तो गांवों के उप स्वास्थ्य केन्द्रों तक को सुव्यवस्थित करना होगा ताकि भविष्य में स्वास्थ्य संकटो से निपटा जा सके.”
लगातार हमलावर है विपक्ष
गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर में बिहार की स्वास्थ्य व्यस्वस्था चरमरा गई है. सूबे के अमूमन हर जिले में अस्पतालों के कुव्यवस्था की तस्वीर सामने रही है. खासकर बीते कुछ दिनों से सूबे के बदहाल अस्पतालों, पीएचसी, एपीएचसी समेत अन्य स्वास्थ्य केंद्रों की खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं. विपक्ष भी लगातार इस मुद्दे पर सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेर रहा है.
हालांकि, जेडीयू के नेता सरकार और मुख्यमंत्री के बचाव में उतर गए हैं. बीते दिनों जेडीयू नेता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने आरजेडी पर निशाना साधा था. अस्पतालों की बदहाली पर सवाल उठा रहे आरजेडी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा था कि अब न्यायालय से पुरुस्कृत घोटाला शिरोमणि भी लाठी के बजाय कलम और डॉक्टरों को बिहार से भगाने के बदले स्वास्थ्य सेवा की बात करने लगे हैं. यही है नीतीश इफेक्ट।