सुनील कुमार/एफएमटीएस न्यूज़
बिहार में आपराधिक मामले रुकने का नाम नहीं ले रहा है। मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुलिसिंग को टास्क दे दिया है। सीएम ने बिहार के डीजीपी को साफ़ तौर पर कहा है कि अगर बिहार में कानून का राज नहीं बचा तो फिर पुलिसकर्मियों पर गाज गिर सकती है। इसके बाद राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद पहली बार शराब के अलावे 10 बड़े क्राइम को लेकर कैटेगरी तैयार की गई है।
बिहार पुलिस ने कानून का राज स्थापित करने के लिए 10 गंभीर माने जाने वाले क्राइम की कैटेगरी बनाई है। इसमें हत्या, डकैती, लूट, फिरौती के लिए अपहरण के साथ-साथ रंगदारी को भी गंभीर अपराध की कैटेगरी में शामिल किया गया है। इसके अलावा सार्वजनिक जगहों पर फायरिंग, हथियार लहराना या धमकी देना मोबाइल चेन स्नैचिंग के साथ-साथ महिला और एससी एसटी के खिलाफ अपराध और अत्याचार को भी गंभीर अपराध की कैटेगरी में रखा गया है। गृह विभाग द्वारा आदेश जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि इस तरह के अपराधों को लेकर पुलिस ज्यादा सशक्त रहे और हर दिन पुलिस मुख्यालय इसकी मॉनिटरिंग करे। हालांकि शराबबंदी कानून या शराब को लेकर अपराधिक मामलों को इस कैटेगरी में नहीं रखा गया है।
इसके अलावा गृह विभाग ने आदेश जारी कर कहा है कि बिहार के सभी बड़े जिलों में हर महीने कम से कम 10 अपराधिक घटनाओं की स्पीडी ट्रायल कराई जाए। प्रमंडलीय मुख्यालय वाले जिलों में 10 मामलों की स्पीडी ट्रायल और बाकी के जिलों में 5 मामलों की स्पीडी ट्रायल कराने के लिए टास्क दिया गया है। कुर्की जब्ती की वीडियोग्राफी कराने और साथ ही साथ अपराधियों ऊपर नकेल कसने के लिए पुराने मामलों में उनकी गिरफ्तारी हो। इसके अलावा पुलिस को यह भी निर्देश दिया गया है कि अनुसंधान यानी जांच के काम में गति लाये, ट्रायल को दुरुस्त करे, जेल में बंद अपराधियों पर नजर रखे।
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