सुनील कुमार/एफएमटीएस न्यूज़
- आज विभिन्न बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर बाढ़ पीड़ितों के दुःख-दर्द जाना। बिहार के 40 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित है। राहत और बचाव करने में डबल इंजन सरकार असमर्थ है। सरकार साहेब के हवा-हवाई सर्वेक्षण का नतीजा भी हवा-हवाई है।मेरे लगातार दौरों से यह स्पष्ट हो गया है कि ईमानदार कोशिश के अभाव में सरकारी व्यवस्था ऊँट के मुँह में जीरा साबित हो रहा है।सूखा राशन वितरण,सामुदायिक रसोई इत्यादि में गुणवत्ता,मात्रा और पहुँच की भारी कमी है।लोग नरकीय जीवन व्यतीत कर रहे हैं और टकटकी लगाए पानी का स्तर घटने का इंतज़ार कर रहे हैं।बाढ़ प्रभावित लोगों की समस्याओं को समझने के लिए पीड़ित लोगों के बीच पानी में उतरना पड़ता है। उनका दुःख-दर्द बाँटना होता है। हरसंभव मदद करनी होती है। हेलिकॉप्टर में बैठ सरकार केवल नज़ारे लेती है नतीजे नहीं देती।हर साल बाढ़ से लोगों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है और हर साल सरकार असमर्थता जता कर हाथ ऊपर कर लेती है। अगर ईमानदारी से बिहार भर में बाढ़ से बचाव के उपाय हों तो बाद में सरकार को ना तो लोगों को बाढ़ राहत पहुँचाने की ज़रूरत पड़े और ना ही लोगों की जमापूंजी इस तरह प्रवाहित हो।