बाढ़ से परेशान मुंगेर जिले के गंगा तट पर बसा गांव सरकारी और गैर सरकारी सहायता की आस में अपनी आंखें बिछाई हुई है।
इसकी अनुभूति डीएवी जमालपुर के प्रधानाचार्य में देखा गया जिन्होने बिना समय गवाएं अपने शिक्षक एवम शिक्षकतर कर्मचारी के साथ राशन की व्यवस्था लेकर घोरघाट के मुरल गाँव पहुँचकर लोगों की सहायता की ग्रामीणों के बीच चावल दाल और आलू का वितरण कर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वाहन किया।
मुंगेर जिला के अंतरगत तारापुर क्षेत्र का इतिहास क्रांतिकारीयों का रहा है स्वतंत्रता संग्राम के समय क्रांतिकारियों की गतिविधी काफी मुखर थी जलियांवाला बाग की घटना की तरह तारापुर में 15 फरवरी 1932 को घाटना घटी जब आंदोलनकारीयो ने ब्रिटिश सरकार को चुनौति देते हुए भारतीय झंडे को तारापुर थाना में फहराने के लिए फैसला लिया ब्रिटिश सरकार के चेतावनी के बाद भी क्रांतिकारी झंडा लेकर थाना की ओर बढ़ा अंगरेज सिपाहियों ने गोली चलानी शुरू कर दी। अनेक क्रांतिकारी मारे गए फिर भी क्रांतिकारी ने अपना मकसद पुरा किया कितने क्रांति कारी मारे गए पता नहीं चला किंतु तेरह क्रांतिकारी की पहचान हुई लम्बे अर्शे के बाद शहीदों के सम्मान में प्रतिमा स्थापित होने जा रहा है शहीदों के सम्मान में सर्वप्रथम पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गिय चंद्रशेखर सिंह ने अपना योगदान दिया किंतु प्रतिमा लगाने की घोषना पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया निरंतर प्रयास के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निजी प्रयास से अब यह सपना पूरा होने वाला है।