कुन्दन सिंह/एफएमटीस न्यूज़/बाढ़/बख्तियारपुर
सहरसा– लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भले ही सरकार की कई योजनाएं संचालित हो रही हैं, लेकिन समुचित स्वास्थ्य सुविधा के लाभ से ग्रामीण क्षेत्रों के लोग आज भी वंचित हैं। विभिन्न पंचायतों में संचालित अधिकांश स्वास्थ्य उप केंद्र में अक्सर ताला लगा रहता है। वहीं कुछ केंद्र का भवन खंडहर हो चुका है। प्रखंड की 1 लाख 97 हजार की आबादी को चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए संचालित पीएचसी बरियाही में मामूली बीमारी के लिए आने वाले मरीज के पर्ची पर भी रेफर टू सहरसा लिख दिया जाता है।
1903 में हुई थी स्थापना
सदर प्रखंड के बरियाही में आजादी से पूर्व अंग्रेजों द्वारा लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य अस्पताल की स्थापना की गई थी।
सुपौल – कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते प्रकोप को देखते हुए ज़न अधिकार छात्र परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पिपरा विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी गौतम आनंद के द्वारा पिपरा प्रखंड के प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्रों का जायजा लेने का अभियान दौरान प्रखंड के सखुआ गाँव पहुँचा। अपने टीम के साथ पहुँचे गौतम आनंद ने कहा कि सखुआ के ग्रमीणों ने कहा कि यह अस्पताल सत्रह वर्षो से बंद पड़ा हुआ है। न कोई डॉक्टर कभी आते है न कोई इसे देखने वाला है। गाँव वालों का कहना था कि अगर यह अस्पताल सुचारू रूप से चलने लगे तो गाँव के लोगों का इलाज भी यहीं हो जाएगा।
गौतम आनंद ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आखिर क्या वजह है कि अस्पताल में बहाल डॉक्टर नर्स सत्रह वर्षों से बिना सेवा दिए पेमेंट लेता आया है ?
पंचायत के जनप्रतिनिधि से लेकर विधायक सांसद जो सिर्फ वोट के लिए गाँव आते हैं उसके बाद फिर कभी भी गाँव के लोगों का कोई सुध नहीं लिया जाता है आखिर क्यों? जनता के टेक्स के पैसे से डॉक्टर नर्स बिना ड्युटी के पेमेंट लेता है । इसका सीधा मतलब है इसमें स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर सिविल सर्जन जिला अधिकारी तक स्वास्थ्य व्यवस्था के इस लूट में बराबर का हिस्सेदार है। स्थानीय ग्रामीण व जाप नेता संजय झा ने कहा कि अब हम ग्रामीण चुप बैठने वाले नहीं हैं हर हाल में गाँव के इस अस्पताल को जन अधिकार पार्टी के लोग आर पार की लड़ाई लड़कर खुलवाने काम करेंगे।
गौतम आनंद ने कहा अगर जल्द से जल्द सुपौल के जिला अस्पताल से लेकर सभी प्रखंड स्वास्थ्य केंद्र एवं उप स्वास्थ्य केंद्र को सुचारू रूप से प्रारंभ नहीं किया गया तो इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा। मौके पर प्रवीण पाठक , संजय झा ,उदय मंडल, आशुतोष झा आदि उपस्थित थे ।
मधेपुरा – सूबे में एंबुलंस प्रकरण में हुए हाय-तौबा का मामला शांत नहीं हुआ है कि जिले में एंबुलेंस कबाड़ बनने का मामला सामने आ रहा है। जबकि कोरोना काल में सारा फोकस स्वास्थ्य विभाग पर है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग है कि सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। चिकित्सीय सुविधा में फिसड्डी मधेपुरा का स्वास्थ्य विभाग एंबुलेंस को भी कबाड़ में तब्दील कर रहा है। जिले में 21 एंबुलेंस कबाड़ बन गया है या बनने के कगार पर है।
अस्पताल परिसर में सड़ रहा है। थोड़ी से खराबी के बाद रखा एंबुलेंस की स्थिति यह हो गई है कि अब ठीक ही नहीं हो सकता है। ऐसे में मरीजों को परेशानी हो रही है।
स्वास्थ्य विभाग की मानें तो जिले में 60 एंबुंलेंस की जरूरत है। वर्तमान में 20 से अधिक एंबुलेंस संचालित हो रहा है। कुछ एंबुलेंस खराब है। कुछ गैरेज में ठीक हो रहा है। सिर्फ सदर अस्पताल में करीब आधा दर्जन एंबुलेंस कबाड़ बन चुका है। वहीं जिले के विभिन्न अस्पतालों में भी खराब एंबुलेंस रखा हुआ है। लापरवाही के कारण कई एंबुलेंस बेकार हो चुका है। स्थिति यह है कि अब यह एंबुलेंस काम की नहीं रह गई है। ऐसे में एंबुलेंस की कमी के कारण मरीजों की जान तक जा रही है। लोग महंगे दामों पर प्राइवेट एंबुलेंस का सहारा ले रहे हैं।
15 अस्पतालों में मात्र 20 एंबुलेंस
जिले में सदर अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल सहित 13 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एंबुलेंस की जरूरत रोज होती है। विभाग मात्र 20 एंबुलेंस के सहारे किसी प्रकार कार्य कर रही है। जबकि सही ढंग से कार्य के लिए कम से कम 60 एंबुलेंस की जरूरत है। कोरोना महामारी के दौर में मरीजों को लाने, ले जाने के लिए एंबुलेंस की आवश्यकता होती है। ऐसे में एंबुलेंस की कमी के कारण मरीजों के स्वजनों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
प्रखंड खराब एंबुलेंस संचालित एंबुलेंस
मधेपुरा : 07 : 05
ङ्क्षसहेश्वर : 01 : 01
पुरैनी : 02 : 01
गम्हरिया : 01 : 01
घैलाढ़ : 01 : 01
शंकरपुर : 02 : 01
कुमारखंड : 02 : 01
मुरलीगंज : 01 : 01
ग्वालपाड़ा : 00 : 02
उदाकिशुनगंज : 02 : 01
आलमनगर : 00 : 02
चौसा : 00 : 02
बिहारीगंज : 02 : 01
कुल : 21 : 20
कई एंबुलेंस दो लाख से अधिक किलोमीटर चल चुका है। इस कारण बेकार हो गया है। जो ठीक होने लायक है उसके ठीक कराया जा रहा है। वहीं नए एंबुलेंस के लिए भी विभाग को पत्र लिखा गया है।