हेमंत कुमार झा/ स्वतन्त्र रिपोर्टर
बहुचर्चित सेनारी नरसंहार के अभियुक्तों को उच्च न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया है। डबल बेंच के इस फैसले की जानकारी मिलने के बाद लोगों में आक्रोश है। वहीं मृतक के परिजन इस फैसले से काफी नाराज दिख रहे हैं। फैसले की जानकारी मिलने के बाद सेनारी समेत अन्य गांवों में इसकी चर्चा होने लगी।
एक जाति विशेष के लोगों में काफी नाराजगी और आक्रोश देखने को मिल रहा है। सेनारी गांव के लोगों का कहना है कि यह फैसला निराशाजनक है। ग्रामीण नीतीश कुमार, अजय शर्मा आदि ने कहा कि न्यायालय की भाषा में साक्ष्य के अभाव भले ही हैं। पर हमारे परिजनों की गला रेतकर जघन्य हत्या कर दी गई।
इससे बड़ा साक्ष्य क्या होगा। सभी लोग जानते हैं कि 18 मार्च 1999 की रात एमसीसी के हथियारबंद लोगों ने 34 लोगों की हत्या ठाकुरबाड़ी के पास ले जाकर कर दी थी। आखिर कौन सा साक्ष्य चाहिए था। समझ से परे हैं। आरोपियों ने गर्दन काटने के बाद उनके पेट को चीर दिया था।
चाचा को खोया था नीतीश ने
नीतीश ने बताया कि नरसंहार में वह अपने चाचा को खोया था। वहीं अजय शर्मा ने बताया कि नक्सलियों ने उसके भाई की हत्या कर दी थी। महेश शर्मा, अरविंद शर्मा, सुरेश शर्मा ने बताया कि हमलोगों ने अपना परिवार खोया है। अब खोने के लिए बाकी क्या रह गया है। यह भी कहा कि निचली अदालत के फैसले से न्याय मिलने की आस जगी थी। लेकिन, आज वह भी समाप्त हो गई।
सरकार मामले को सुप्रीम कोर्ट में करे दाखिल
मृतक के परिजनों ने कहा कि सरकार जिस प्रकार से अन्य नरसंहार के लिए सुप्रीम कोर्ट गई है। हम लोगों को भी न्याय दिलाने के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करे।
सेनारी गांव के अलावा आसपास गांवों में पसरा है मातम
हाईकोर्ट के फैसले के बाद सेनारी गांव के अलावा खटांगी, मंझियावां, ओढ़बिगहा समेत दर्जनों गांवों में मातम छाया हुआ है। विभिन्न संगठनों से जुड़े ग्रामीण इस फैसले से काफी नाराज दिख रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाए। जब तक अभियुक्तों को सजा नहीं मिलेगी। मृतक के परिजन रात की सांस नहीं ले पाएंगे। इतनी बड़ी घटना में सभी लोगों को बरी किया जाना पूरी तरह हास्यप्रद है। इससे अभियुक्तों का मनोबल बढ़ेगा और अपराध की घटनाएं बढ़ेगी।
आपस में मिलजुलकर रहते हैं लोग
मृतक के परिजनों ने बताया कि गांव में अब कोई तनाव नहीं है। हम लोग मिलजुल कर रह रहे हैं। सेनारी के अलावा आसपास के गांवों में भी अमन चैन कायम है। पहले इलाका काफी अशांत था। लेकिन, पिछले 15 वर्षों से इस इलाके में आपसी समन्वय मजबूत हुआ है। जिसके कारण अब देर रात भी निर्भीक होकर लोग अपने घर आते-जाते हैं। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि जो फैसला आया है। उससे निराशा हाथ लगी है। अब तो सूबे की सरकार इस मामले में क्या करती है। इसी पर निगाहें टिकी है।
19 मार्च 1999 को चिंतामणि के बयान पर दर्ज हुई थी प्राथमिकी
अरवल जिले के करपी थाना क्षेत्र के सेनारी गांव में 18 मार्च 1999 की रात प्रतिबंधित नक्सली संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर के हथियारबंद लोगों ने हमला कर एक ही जाति के 34 लोगों की हत्या कर दी थी। शुरू में इसे पीपुल्स वार ग्रुप की हिंसक कार्रवाई मानी जा रही थी। लेकिन, एमसीसी ने पर्चा छोड़कर नरसंहार की जिम्मेवारी ली थी। उग्रवादियों द्वारा छोड़े गए पर्चे में शंकर बिगहा तथा नारायणपुर की घटनाओं के प्रतिशोद्ध की बात कही गई थी। इस घटना में सात लोग घायल हुए थे। तत्कालीन डीआईजी एसके भारद्वाज, डीएम अवनीश चावला, अरवल के एसपी संजय लाटेकर, डीजीपी टीपी सिन्हा, आईजी नीलमणि, गृहसचिव राजकुमार सिंह समेत कई वरीय अधिकारी घटना स्थल पर पहुंचे थे।
ट्रायल शुरू होने के बाद 31 लोगों ने दी थी गवाही
18 मार्च 1999 को सेनारी नरसंहार के दूसरे दिन 19 मार्च को करपी थाने में चिंतामणि देवी के बयान पर कांड संख्या 22-1999 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। 16 जून 1999 को पुलिस के द्वारा चार्जशीट दाखिल किया गया था। इसके बाद 38 लोगों के खिलाफ ट्रायल चला। 15 नवंबर 2016 को निचली अदालत में मिली थी सजा
15 नवंबर 2016 को जहानाबाद के निचली अदालत में 13 लोगों का सजा सुनाई थी। जबकि 25 लोगों को रिहा कर दिया गया था। नीचली अदालत में 10 लोगों को फांसी की सजा तथा तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। न्यायालय ने बचेश कुमार सिंह, बुधन यादव, बुटाई यादव, सत्येंद्र दास, द्वारिका पासवान, गोपाल साव, ललन पासी, करीमन पासवान, गोराई पासवान तथा उमापासवान को फांसी की सजा सुनाई थी। जबकि अन्य तीन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
सेनारी हत्याकांड में इन लोगों की गई थी जान
मधुकर कुमार, ओमप्रकाश उर्फ रोहित शर्मा, भूखन शर्मा, नीरज कुमार, ओमप्रकाश, राजेश कुमार, संजीव कुमार, राजू शर्मा, जितेंद्र शर्मा, विरेंद्र शर्मा, सच्चितानंद शर्मा, ललन शर्मा, अवधेश शर्मा, कुंदन शर्मा, धीरेंद्र शर्मा, अमरेश कुमार, रामदयाल शर्मा, सत्येंद्र कुमार, उपेंद्र कुमार, विमलेश शर्मा, परीक्षित नारायण शर्मा, रामनरेश शर्मा, चंद्रभूषण शर्मा, अवधकिशोर शर्मा, संजीव कुमार, श्यामनारायण सिंह, नंदलाल शर्मा, रामस्लोग शर्मा, ज्वाला शर्मा, पिंटू शर्मा, रामप्रवेश शर्मा, रंजन शर्मा, जितेन्द्र शर्मा, विरेन्द्र शर्मा।