कुन्दन कुमार/एफ़एमटीएस न्यूज़/मधेपुरा
लगभग पांच दशक के इंतजार के बाद केंद्र सरकार ने बिहार की बहुउद्देशीय डागमारा पनबिजली परियोजना को मंजूरी दे दी है। सुपौल जिले में स्थापित होने वाली इस परियोजना से 130 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। कोसी नदी पर बननेवाले इस पनबिजली परियोजना से क्षेत्र के सात जिलों को न सिर्फ रोशन किया जाएगा, बल्कि हर साल नदी में आनेवाली बाढ़ की समस्या से भी लोगों को राहत मिलेगी। इस बात की जानकारी बिहार के ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव ने दी।
डगमारा पनबिजली प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने पर बिहार के ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने प्रोजेक्ट की सैद्धांतिक मंजूरी मिलने पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बधाई के प्रति आभार जताया है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि यह सरका का ड्रीम प्रोजेक्ट है। जिसमें कोसी नदी के पानी का इस्तेमाल इस पनबिजली परियोजना के लिए किया जाएगा।
ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव ने बताया कि सुपौल जिले में बननेवाले डगमारा पनबिजली परियोजना से 130 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इसके निर्माण में लगभग 24 सौ करोड़ की लागत आएगी। उन्होंने बताया कि डागमारा प्रोजेक्ट के अस्तित्व में आने के बाद बिहार में ऊर्जा के मद होने वाले संपूर्ण खर्च में कमी आएगी।
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि पिछले दिनों एनएचपीसी की टीम ने डागमारा पन बिजली परियोजना का स्थल निरीक्षण किया था। उसके बाद इस प्रोजेक्ट पर सहमति बनी थी। इसमें पनबिजली के साथ-साथ सौर ऊर्जा व मछली उत्पादन को भी शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के पूर्ण होने के बाद सुपौल सहित सात जिलों को लाभ होगा। इनमें दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, मधेपुरा और अररिया शामिल हैं। प्रोजेक्ट का निर्माण कोसी के बाएं तटबंध पर स्थित भपटियाही गांव में लगाया जाना है। भीमनगर बराज के डाउन स्ट्रीम से यह 31 किमी पर है।
डगमारी पनबिजली परियोजना का बिहार के लिए महत्व इस बात से ही समझा जा सकता है कि पांच दशक पहले 1971 में राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा गठित कमेटी ने जल विद्युत परियोजनाओं की संभावना को इसके बराज से जोड़ा था। लेकिन इसके बाद साढ़े तीन दशक तक इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। 2007 में एशियन डेवलपमेंट बैंक ने इस प्रोजेक्ट में अपनी रूचि दिखायी थी। इसके बाद डीपीआर बनाए जाने का काम वैपकास को दिया गया, पर इस पर सहमति नहीं बनी। वहीं नेपाल से अनुमति नहीं रहने की वजह से मामला अटक गया था। दिसंबर 2011 में डागमारा पनबिजली परियोजना का डीपीआर केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को सौंपा गया था। उस समय भी तत्कालिक केंद्र सरकार ने इसके निर्माण को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी। लेकिन फिर निर्माण का काम अटक गया। अब फिर से इसके निर्माण की उम्मीदें बढ़ गई हैं।