कुन्दन कुमार/एफ़एमटीएस न्यूज़ रिपोर्टर/मधेपुरा
घटना के तीन दिन बीतने पर भी न तो अपराधी पकड़े गए और न ही पीड़ितों की सुरक्षा, सहायता या पुनर्वास के विषय में कुछ हुआ. उन्होंने मांग की कि हमलावरों पर संगत धाराओं में एफआईआर दर्ज कर गिरफ़्तारी हो तथा पीड़ित परिवारों की सुरक्षा, आर्थिक सहायता और पुनर्वास हेतु स्थानीय प्रशासन द्वारा सार्थक कदम अबिलंब उठाए जाएं.
घटना की विभिन्न आयोगों से जांच की मांग की मिलिंद परांडे ने कहा है कि पूर्णिया जिले के बायसी अनुमंडल के मंझवा गांव के खपरा पंचायत में 19 मई बुधवार को अर्ध रात्रि में मुस्लिम समुदाय के द्वारा महादलितों पर ढहाए गए. महा-कहर ने बंगाल में इसी माह हुए क्रूर हिंसक हमलों को दोहरा कर, हिन्दू समाज के धैर्य की परीक्षा लेने का पुन: दुस्साहस किया है. हमले, मारपीट, लूटपाट, हिंसा और आगजनी की इन जघन्य घटनाओं पर स्थानीय पुलिस, प्रशासन व शासन की उदासीनता भी बेहद चिंतनीय है. लोगों के मन में यह शंका है कि स्थानीय जन-प्रतिनिधियों के दबाव के कारण ही ऐसा हो रहा है. उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय बाल आयोग तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को भी मामले में स्वत: संज्ञान लेकर तत्काल उचित कार्यवाही करने की मांग की है।
भीम मीम के नारे की खुली पोल विहिप महामंत्री ने कहा कि इस जघन्य हमले ने ‘मीम-भीम’ के नारे की भी पुन: पोल खोल दी है. क्षुद्र राजनीतिक लाभ के लिए, ऐसे झूठे नारों कि आड़ में ही हिन्दू समाज के इस पराक्रमी दलित समुदाय को हिंसा का शिकार बनाया जाता रहा है. हमारे अनुसूचित जाति व जन-जाति के बंधु-भगिनियों को इनसे भ्रमित ना होकर, अत्यंत सावधान रहने की आवश्यकता है. उन्होंने उन सभी सेक्युलरिस्ट और दलितों के कथित मसीहाओं को भी आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि जिहादियों द्वारा हमलों पर उनके मुंह में दही क्यों जाम जाता है।
विहिप ने कहा कि सभी पीड़ित महादलित परिवारों की सुरक्षा, क्षतिपूर्ति और पुनर्वास के साथ आक्रमणकारियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही सुनिश्चित होने तक हिन्दू समाज चुप नहीं बैठेगा।