कुन्दन कुमार/FMTSन्यूज़ रिपोर्टर/मधेपुरा
सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए राज्य में चल रही सामुदायिक रसोई के बारे में जानकारी ली। वहीं रसोईखाना में भोजन करने पहुंचे कुछ लोगों से मुख्यमंत्री ने वर्चुअल संवाद की। उसके बाद सीएम ने सभी जिले अधिकारियों को जरूरत के हिसाब से प्रखंडों में सामुदायिक रसोई शुरू करने का निर्देश दिए।
सीएम ने साफ तौर पर कहा कि कोरोना संक्रमण के बीच जारी लॉकडाउन की स्थिति में कोई भी जरूरतमंद लोग भूखा नहीं रह पाएं। इसका समुचित ख्याल रखने के निर्देश दिए गए। सीएम के निर्देश के बाद भी मधेपुरा, बिहारीगंज व उदाकिशुनगंज छोड़कर किसी अन्य प्रखंड में सामुदायिक रसोई शुरू नहीं किया गया है।
प्रखंडों में सामुदायिक रसोई शुरू नहीं हो पाने की साफ वजह सामने नहीं आ पाया है। यद्यपि एसडीएम राजीव रंजन कुमार सिन्हा ने बताया कि सभी सीओ को निर्देश दिए गए हैं। एक दो दिनों में स्थित साफ हो जाएगा। जहां जरूरत होगी वहां सामुदायिक रसोई शुरू करा दिया जाएगा। उदाकिशुनगंज में 13 दिनों से शुरू है सामुदायिक रसोई अनुमंडल मुख्यालय के एसबीजेएस हाई स्कूल में पिछले छह मई से सामुदायिक रसोई शुरू है। जहां लोग भोजन करने पहुंच रहे हैं। उदाकिशुनगंज में 13 दिन में 1235 लोगों ने सामुदायिक रसोई में भोजन किया है। यह आंकड़ा शुरूआत के दिनों से 18 मई के दिन के भोजन के समय तक का है। खाने से पहले लिए जाते हैं अंगूठा के निशान सामुदायिक रसोई में खाना खाने आने वालों के नाम पहले रजिस्टर में दर्ज किया जाता है। इसकी वजह बताया गया कि हर दिन वरीय अधिकारी को रिपोर्ट भेजना पड़ता है। खाने के बाद लोगों के अंगूठे के निशान लिए जाते हैं। प्रतिनियुक्त कर्मी अमित कुमार बताते हैं कि क्षेत्र के अधिकांश लोग लिखना नहीं जानते हैं। इस वजह से अंगूठे के निशान लिए जाते हैं। फिर एक ही कलम से हस्ताक्षर करवाने में संक्रमण का भय रहता है। अलबत्ता एक पेड में अंगूली से निशान लिया जाता है। जरूरतमंद लोग पहुंच रहे भोजन करने सामुदायिक रसोई में जरूरत मंद लोग खाने को पहुंच रहे हैं। किशुनगंज पंचायत के गुदरी बाजार के समीप के मु. सलाम ने बताया कि उसके पिता मुर्गी बेचने का काम करते थे। काम प्रभावित होने के बाद घर चलाने में मुश्किल हो गया। इस वजह से सामुदायिक रसोई में खाने को आए है। इसी जगह के मु. सौहेल के पिता सिलाई दुकान चलाते थे। मु. असफाक के पिता सब्जी का दुकान चलाते थे, मु. सेफू के पिता प्राईवेट वाहन चालक है। सबों का कारोबार प्रभावित होने से घर पर संकट गहराया। इस कारण सामुदायिक रसोई में खाने को आ रहे हैं। हरैली गांव के उपेंद्र ठाकुर और किशुनगंज पंचायत वार्ड संख्या 11 के बुजुर्ग अनंदी दास लॉकडाउन के बाद हो रही परेशानी का जिक्र किया। बुजुर्ग अनंदी दास बताते है कि 14 सदस्यों का उनका परिवार है। छोट छोटे कारोबार से घर चलता था। यद्यपि लॉकडाउन में धंधे बंद पर जाने से खाने की समस्या आई। यद्यपि उसे सामुदायिक रसोई से खाने में कोई दिक्कत नहीं है। दो शाम का भोजन मिल जा रहा है।
इन प्रखंडों में अभी तक नहीं हो पाया शुरू अनुमंडल के ग्वालपाड़ा, पुरैनी, चौसा और आलमनगर प्रखंडों में सामुदायिक रसोई शुरू नहीं किया गया है। इन अंचलों के अंचलाधिकारी द्वारा रसोई चलाने का मंत्वय वरीय अधिकारी को प्राप्त नहीं हुआ है।
कोट उदाकिशुनगंज में पहले से सामुदायिक रसोई शुरू है। बिहारीगंज में सोमवार से शुरू की गई है। अन्य जगहो के अंचलाधिकारी ने अभी समय लिया है। जरूरत के हिसाब से अन्य प्रखंडों में भी जल्द सामुदायिक रसोई शुरू की जाएगी। –राजीव रंजन कुमार सिन्हा, एसडीएम
उदाकिशुनगंज (मधेपुरा)