कुन्दन कुमार/FMTSन्यूज़ रिपोर्टर/मधेपुरा
कोरोना की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस मुजफ्फरपुर में भी पांव पसार रहा है। इसकी दहशत से लोग डरे-सहमे हैं। शनिवार की देर शाम ब्लैक फंगस से उर्दू के प्रसिद्ध साहित्यकार अब्दुस सत्तार की पटना में मौत हो गई। वे शहर स्थित सादपुरा के रहनेवाले और सेवानिवृत्त एलआईसी अधिकारी थे। उनके चेहरे पर सूजन के साथ ही आंखों की भी रोशनी चली गई थी। इन लक्षणों को देख परिजनों ने डॉक्टर से संपर्क किया था। रविवार को उनकी मौत की जानकारी के बाद इलाके में चर्चा तेज रही।
उनके बेटे साजिद रेयाज अख्तर ने बताया कि परिवार में चार सदस्य कोरोना संक्रमित हो गए थे। अब्बू भी पॉजिटिव थे। यह 27 दिन पहले की बात है। इसके बाद ठीक हो गए। रिपोर्ट भी निगेटिव आ गई थी, मगर इसके दो-तीन दिन बाद ही अब्बू का चेहरा सूज गया। आंखों के भी आसपास पूरा सूज गया था और जलन हो रही थी। यह सारे लक्षण ब्लैक फंगस की ओर इशारा कर रहे थे। दोनों आंख से उन्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। इसके बाद शहर के जूरनछपरा में डॉ. चंदन से चार दिन पहले संपर्क किया। उनसे ही इलाज चल रहा था। उन्होंने दवा दी और बताया कि ब्लैक फंगस का लक्षण है। उन्हें एडमिट नहीं किया गया। घर पर ही उनकी दवा-सुई चल रही थी। डॉक्टर ने पटना इलाज कराने के लिए रेफर किया था।
जांच रिपोर्ट के फेर में एम्बुलेंस में ही तोड़ा दम
साजिद रेयाज ने बताया कि शनिवार की सुबह अब्बू को एंबुलेंस से पटना आईजीएमएस ले गए, मगर वहां पहले टेस्ट रिपोर्ट मांगी गई। जब एंटीजन टेस्ट रिपोर्ट दी तो उन्होंने आरटीपीसीआर रिपोर्ट मांगी। आरटीपीसीआर रिपोर्ट की फोटो खींचकर मंगाई तो अस्पताल वालों ने कहा कि पटना में टेस्ट की रिपोर्ट चाहिए। पांच घंटे की मशक्कत चलती रही और इसी बीच अब्बू एम्बुलेंस में ही रहे। वहां एडमिट नहीं किया और इसके साथ ही उनकी हालत बिगड़ती चली गई। देर शाम उनकी मौत हो गई। इसके बाद शव लेकर घर लौट आए।
पुर्जे पर सस्पेक्टेड केस ऑफ म्यूकर माइकोसिस का जिक्र
अब्दुस सत्तार का इलाज डॉ. चंदन से चल रहा था। उनके पुर्जे पर सस्पेक्टेड केस ऑफ म्यूकर माइकोसिस लिखा है। बेटे साजिद रेयाज ने बताया कि उनके इलाके के अधिकांश घरों में कोरोना संक्रमण फैला था और अधिकांश मरीज डबल म्यूटेशन वाले की चपेट में थे।
सिविल सर्जन का बयान
जिले में ब्लैक फंगस का कोई मामला नहीं आया है। एक की मौत आईजीएमएस पटना में हुई है। वह मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं।
-डॉ एसके चौधरी,सिविल सर्जन