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सुशील कुमार/FMTSन्यूज़ रिपोर्टर/पटना
BJP, नीतीश कुमार और उनके एजेंट की साँठगाँठ तथा अनैतिक गठबंधन का पर्दाफ़ाश।
जिस 32 साल पुराने केस में पप्पू यादव की गिरफ़्तारी हुई है वो इतने वर्षों से इस केस में फ़रार थे। राष्ट्रीय जनता दल ने विगत विधानसभा चुनाव में RTI के ज़रिए बिहार सरकार से पूछा था क्या पप्पू यादव अपहरण कांड संख्या GR-68/89 में जमानत पर है या फ़रार? तब नीतीश सरकार ने बाक़ायदा लिखित में उत्तर दिया था कि पप्पू यादव ज़मानत पर नहीं बल्कि फ़रार है। राजद ने लिखित में मधेपुरा प्रशासन को सारी विवरणी भी उपलब्ध कराई थी। दोनों की कॉपी संलग्न है।
लेकिन नीतीश सरकार ने फ़रार मुजरिम को गिरफ़्तार करने की बजाय पूरे बिहार में हेलिकॉप्टर से घूमने की इजाज़त दी। क्योंकि वो बीजेपी-जेडीयू के समर्थन और प्रायोजन से महागठबंधन के वोटों में बिखराव के लिए उनका उपयोग कर रहे थे। मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में यह मामला था। सर्वविदित है नीतीश कुमार चुनाव में एक हफ़्ते मधेपुरा में रुकते है।
पप्पू यादव ने इसी फ़रारी के चलते सरकार के कहे अनुसार अस्पताल से नामांकन किया लेकिन मधेपुरा सहित संपूर्ण बिहार में प्रचार किया। मुख्यमंत्री ने उनकी कोई गिरफ़्तारी नहीं होने दी।
सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने, मरते लोगों, जलते शवों और नदियों में बहती लाशों से ध्यान हटाने के लिए प्रायोजित नाटक का प्रपंच रच रहा है।
नीतीश कुमार ने कैसे बचाया और फँसाया यह बात तो उनके तीन गठबंधन सहयोगी, कैबिनेट के साथी, उनके दल के नेता ही उनकी पोल खोल रहे है। नीतीश कुमार Expose हो चुके है।
राजद विगत वर्ष कोरोना काल की शुरुआत से ही सरकार के असहयोग और उदासीनता के बावजूद प्रवासी मज़दूरों के आवागमन, ठहरने, खाने-पीने से लेकर प्रखंड और पंचायत स्तर पर लालू रसोई तथा अन्य माध्यमों से दवा, राशन और भोजन का प्रबंध कर रहा है। राजद अपने सीमित संसाधनों के साथ हर संभव ज़रूरतमंदो की सहायता में प्रयासरत है। क्या 16 वर्षों से शासन कर रहे जेडीयू और बीजेपी के लोग कहीं धरातल पर दिखे? प्रशासन ने लॉकडाउन और महामारी ऐक्ट का हवाला देकर राजद के राहत कार्यों में हमेशा व्यवधान उत्पन्न किया है और कर रहा है।
हमारे आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष और माननीय नेता प्रतिपक्ष के आह्वान पर सभी विधायकगण, नेता, कार्यकर्ता प्रचार और प्रपंच से दूर अपने-अपने क्षेत्रों में जनसेवा में लीन है। बिहार सरकार की नाकामी को देखते हुए आदरणीय लालू प्रसाद जी ने सभी कार्यकर्ताओं से जनसेवा में जुटने की मार्मिक अपील की इससे नीतीश सरकार के हाथ-पाँव फ़ुल गए और इन्होंने अपने अघोषित सहयोगियों के माध्यम से ज्वलंत समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए अपना प्यादा आगे कर दिया।
कितना आश्चर्यजनक है कि उनके अघोषित सहयोगी सरकार की ख़ामी निकालने और सरकार से मदद माँगने की बजाय विपक्ष से दवा, अस्पताल और ऑक्सिजन की माँग कर रहे है? सरकार के ऐसे सहयोगियों को जानना चाहिए कि पटना महानगर के अलावा भी बिहार में 38 ज़िले और 5 महानगर है।
मीडिया ने भी लगातार बताया है कि मधेपुरा के जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज की क्या स्थिति है? क्या सरकार के सहयोगी ने कभी वहाँ का दौरा किया? राजद ज़िला संगठन के लोग और जनप्रतिनिधि लगातार एक हफ़्ते मधेपुरा मेडिकल अस्पताल में डॉक्टर और नर्स की कमियों के कारण मरीज़ों की सेवा और मदद करते रहे लेकिन सरकार के सहयोगी वहाँ नहीं जाएँगे क्योंकि वहाँ मीडिया नहीं है।
बिहार की जनता इस निकम्मी सरकार के सारे नाटक और प्रपंच को देख रही है।
आरजेडी के सीनियर नेता ने आज प्रेस रिलीज कर पूर्व सांसद पप्पू यादव की और मुस्किले पैदा कर दिये अभी भी मेरे FMTS न्यूज़ के टीम सच्चाई पता करने मे जुटी है।