मोतिहारी मेहसी का सौ वर्ष से अधिक पुराना सीप बटन उद्योग फिर जीवित हो उठा है। यहां प्रस्तावित छह में से दो क्लस्टर कार्य करने लगे हैं। अन्य क्लस्टर भी शुरू हो जाएंगे तो यह उद्योग चीन, इंडोनेशिया व वियतनाम को टक्कर देने लगेगा। मदर ऑफ पर्ल अर्थात मोतियों की मां के नाम से मशहूर मेहसी में वर्ष 2000 से पहले सीप बटन की करीब छह सौ से अधिक यूनिट चल रही थीं। यहां घर-घर में बटन का उत्पादन होता था। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 20 हजार लोगों को रोजगार मिला था। यह उद्योग मेहसी प्रखंड के मोतीझील, बथना, मैन मेहसी, चौक बाजार, बहादुरपुर सहित अन्य गांवों में फैला हुआ था। आसपास की नदियों से कच्चा माल आता था। बाद में कच्चे माल के अभाव और समय से साथ आधुनिक मशीनें नहीं लगाने से यह उद्योग दम तोड़ने लगा। तीन सौ लोगों को मिला रोजगार
वर्ष 2012 में सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने बटन उद्योग का जायजा लिया था। उनके निर्देश पर इस उद्योग के विकास को लेकर काम शुरू हुआ। मेहसी, पूर्वी बथना, पुरानी मेहसी, कोठियां हरेराम, मैन मेहसी व बथना में मुख्यमंत्री को क्लस्टर निर्माण का प्रस्ताव दिया गया था। मैन मेहसी व बथना में दो क्लस्टर की शुरुआत छह महीने पहले हुई। तकरीबन छह करोड़ रुपये खर्च कर अत्याधुनिक मशीनें यहां लगाई गई हैं। इन दोनों क्लस्टर में तीन सौ से अधिक को रोजगार मिला है।